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सीजी निकाय चुनाव : वोटिंग को लेकर लोगों में दिखा भारी उत्साह, 68 फीसदी से ज्यादा मतदान, 32 जगह जीत चुकी है बीजेपी

छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव के लिए आज वोटिंग हुई। वोटिंग के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। राज्य निर्वाचन आयोग ने लोगों से वोटिंग करने की अपील की थी। इस बार मेयर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से हुआ है। पिछली बार मेयर का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से हुआ था।

हाइलाइट्स

  • छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव हुआ खत्म
  • 10 निगम समेत 173 निकायों में मतदान हुए
  • पूरे प्रदेश में शांतिपूर्वक हुए मतदान
  • वोटिंग में महिलाओं ने फिर से मारी बाजी

रायपुर: छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव के लिए वोटिंग खत्म हो गई है। राज्य के 10 नगर निगमों, 49 नगर पालिका परिषदों और 114 नगर पंचायतों सहित 173 नगर निकायों में शांतिपूर्व मतदान संपन्न हुए। मतदान का टाइम खत्म होने के बाद भी कई पोलिंग बूथों पर लाइन देखने को मिली। राज्य में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। चुनाव आयोग के अनुसार, राज्य में अभी तक 68 फीसदी मतदान हुआ है। हालांकि फाइनल आकंड़े अभी जारी नहीं किए गए हैं।

शाम पांच बजे तक था वोटिंग का टाइम

निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के अनुसार ”173 नगर निकायों में चुनाव और चार नगर निकायों के पांच वार्डों में उपचुनाव के सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक मतदान होना था। मतदान का समय खत्म होने के बाद लाइन में लगे मतदाताओं को वोटिंग करने का मौका मिलेगा। वोटिंग के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। कुछ स्थानों में छिटपुट घटनाएं हुईं। पूरे प्रदेश में शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न हुए।

32 पार्षद निर्विरोध निर्वाचित

निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के अनुसार, नगर निकायों के चुनाव के लिए कुल 5,970 मतदान केंद्र बनाए गए थे। जिनमें 1,531 संवेदनशील और 132 अति संवेदनशील मतदान केंद्र घोषित किए गए थे। अधिकारियों ने बताया कि बसना नगर पंचायत के अध्यक्ष और विभिन्न नगर निकायों के 32 पार्षद निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं, क्योंकि वहां कोई अन्य उम्मीदवार नहीं था। बता दें कि निर्विरोध जीते उम्मीदवार बीजेपी के हैं।

बीजेपी-कांग्रेस में सीधी टक्कर

नगर निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है, लेकिन बड़ी संख्या में निर्दलीय और बागी उम्मीदवार दोनों पार्टी के उम्मीदवारों के लिए बड़ी चुनौती पेश की है। बागी उम्मीदवार नगरीय निकाय चुनाव में समीकरण बदलने की क्षमता रखते हैं। नगरीय निकाय चुनाव की मतगणना 15 फरवरी को होगी। रायपुर नगर निगम में महापौर पद के लिए भाजपा ने पार्षद और रायपुर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व महापौर प्रमोद दुबे की पत्नी दीप्ति दुबे पर भरोसा जताया है। चौबे और दुबे के मध्य सीधे मुकाबले की संभावना जताई जा रही है।

वहीं, राजनांदगांव नगर निगम में महापौर पद के लिए भाजपा ने पूर्व सांसद मधुसूदन यादव को तथा कांग्रेस ने निखिल द्विवेदी को अपना उम्मीदवार बनाया है। राज्य के उत्तर क्षेत्र के अंबिकापुर नगर निगम में महापौर पद के लिए दो बार के महापौर रहे कांग्रेस के डॉ. अजय तिर्की का मुकाबला भाजपा की मंजूषा भगत से होगा।

तीन सप्ताह चला चुनाव प्रचार

राज्य के दोनों प्रमुख दलों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए तीन सप्ताह तक व्यापक प्रचार किया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भाजपा के लिए अभियान का नेतृत्व किया। उन्होंने अपने पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में राज्य के प्रमुख नगरीय निकायों में जनसभा की और रोड शो किया। साय ने इस दौरान ‘ट्रिपल-इंजन’ सरकार के लिए वोट मांगे। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व उपमुख्यमंत्री टी एस सिंह देव और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता चरण दास महंत ने कांग्रेस के अभियान का नेतृत्व किया।

किए गए हैं लोकलुभावने वादे

नगरीय निकाय चुनावों के लिए भाजपा के घोषणापत्र में 20 प्रमुख वादे शामिल हैं। भाजपा ने इस चुनाव में महिलाओं के स्वामित्व वाली संपत्तियों पर संपत्ति कर में 25 फीसदी की छूट, बाजारों में महिलाओं के लिए ‘गुलाबी शौचालय’ का विस्तार, स्कूल एवं कॉलेज में मुफ्त वाई-फाई की सुविधा, स्कूल और कॉलेज में छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने समेत कई वादे किए है। इसी तरह कांग्रेस ने सार्वजनिक सेवाओं को हर घर तक पहुंचाने, सार्वजनिक स्थानों पर मुफ्त वाई-फाई, स्कूल और कॉलेजों के पास सीसीटीवी कैमरे लगाना, स्कूल और कॉलेजों में छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने और नगर निगमों के संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया है।

पिछली बार कांग्रेस का था कब्जा

इससे पहले 2019-2020 में हुए निकाय चुनावों में, राज्य में तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस ने इन सभी 10 नगर निगमों में महापौर पदों पर कब्जा कर लिया था। पिछली बार, महापौर पदों के लिए चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से हुआ था, जिसमें जनता ने पार्षदों को चुना था और फिर चुने हुए पार्षदों ने अपने बीच से नगर निगमों के महापौर और अन्य नगरीय निकायों के अध्यक्षों का चुनाव किया था। यह अप्रत्यक्ष विधि प्रणाली 2019 में तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार द्वारा शुरू की गई थी।

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